दलित के नाम पर नया गुप्त मनुवाद !


जिस वर्ग-जाति से हम उम्मीद नही करते है वह हमारे पासी समाज के इतिहास को बचाने व सैकडों पासी भाईयो को सम्मानित करता है यह है डा. मनोज कुमार पांडेय (बाभन) जो महाराजा माहे पासी की मूर्ति स्थापित, सोलर विद्युत व किले की गेट सुन्दरी करण करवाया व माहे पासी किले पर पासी समाज के लोगो को सम्मानित भी करते रहते है दोस्तों यह चाहे वोट के लिये ही क्यो ना करते हो पर अपने समाज के लिये कार्य तो करते है , ऐसे ही सीतापुर का सातन पासी किला का मूर्ति व किले की गेट सुन्दरीकरण किसी जायसवाल(बनिया) ने किया है , और एक तरफ हमारा sc वर्ग (बसपा) जिसे हम वोट भी करते है और उम्मीद भी करते है कि पासी समाज को भी सम्मान करेगा पर कई बार मुख्यमंत्री(चमार) रहते हुये ना कोई स्मारक ना ही कोई सम्मेलन ना कोई सम्मान मिला बस चमार चमार चमार हर जगह चमार बाकी धोबी, खटिक, धरिकार व अन्य अनुसूचित जातिया सिर्फ दलित के नाम पर वोट करे अन्य अनुसूचित जाति किसी दूसरे पार्टी या व्यक्ति को सपोर्ट भी कर दिये तो चमार लोग ब्राह्मण-भक्त, संघी, दलाल गद्दार घोषित होने में देर नही लगाते।
क्या इनके महापुरुष हमारे है और हमारे महापुरुष इनके नही क्यो ये महाराजा बिजली पासी लाखन पासी विरांगना उदा देवी की जयंती व शहादत दिवस नही मनाते?
अखंड भारत न्यूज में छपी खबर के अनुसार माहे पासी किले पर हर वर्ग के लोग पहुचते है पर एक वर्ग ना कभी सोचता है ना पहुंचता है – अच्छेलाल सरोज ,इलाहाबाद

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माहे पासी किले पर आयोजित भव्य मेले में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ने की शिरकत…

अंतिम संस्कार एवं पर्यावरण असंतुलन

मृत्यु के बाद पार्थिव शरीर को आग के हवाले करने की परंपरा के चलते भारत में हर साल 50 से 60 लाख पेड़ काटे जाते हैं. ऐसे समय में जब दुनिया में पर्यावरण असंतुलन पर गंभीर विमर्श हो रहा हो, अंतिम संस्कार के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई क्या उचित है? क्या इस पर पुनर्विचार नहीं होना चाहिए? अंतिम संस्कार वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है, इसलिए अंतिम संस्कार की वैकल्पिक पद्धतियों को प्रयोग में लाना चाहिए इसके चलते ‘जंगल काटे जा रहे हैं और मृत शरीरों के दहन से दूषित करनेवाले गैस निकलते हैं, जो हवा को प्रदूषित करते हैं.’भले ही लोग मृत शरीर के खुले में जलाये जाने को ‘आत्मा के मुक्त होने’ और ‘मोक्ष प्राप्ति’ से जोड़ते हों, वास्तविकता में वह पर्यावरण के लिए खतरा है,
मसलन, दिल्ली में पर्यावरण की बेहतरी के लिए सक्रिय एक संस्था ‘मोक्षदा’ ने दहन के वैकल्पिक तरीकों को विकसित करने की कोशिश की है. संस्था के मुताबिक, पारंपरिक तरीकों के दाह संस्कार से लकड़ी के जलने से हवा में लगभग अस्सी लाख टन कार्बन मोनोआॅक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है. दहन के बाद निकलनेवाली राख जलाशयों या नदियों में फेंकी जाती है, जो उनकी विषाक्तता बढ़ाती है.
एक शव को ढंग से जलाने में लगभग चार क्विंटल लकड़ी लग जाती है. वजन बढ़ाने के लिए लकड़ियां गीली रखी जाती हैं, जो अधिक धुआं पैदा करती हैं,
निश्चित ही लकड़ी पर जलाने के बजाय विद्युत शवदाह गृह ज्यादा अनुकूल एवं आसानतरीका हो सकता है या सीएनजी आधारित शवदाह गृह भी प्रयुक्त हो सकते हैं, मगर लोगों में जो धारणाएं मौजूद हैं, वह इस रास्ते में बड़ी बाधा हैं. शवदाह गृहों के बंद होने, उनमें अचानक खराबी आने जैसी समस्याओं का लोगों को सामना करना पड़ता है. ऐसे शवदाह गृहों पर जो कर्मचारी तैनात होते हैं, वे भी जागरूक नहीं होते.
इस मसले पर जागरूकता ही सबसे महत्वपूर्ण है. कोई कानून काम नहीं आयेगा, हर जीते इनसान को ही बोलना होगा कि मृत्यु के बाद उनके परिजन ऐसा कोई तरीका इस्तेमाल न करें, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हो. कब्रगाहों के बारे में भी अक्सर यही बात आती है कि अब जगह कम पड़ने लगी है यानी वहां भी देर-सबेर कोई दूसरा उपाय तलाशना पड़ेगा.
जैसा माहौल देश में बन रहा है, यह भी संभव है कि धार्मिक आजादी की बात करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित करनेवाले इस मसले पर बात ही न होने दी जाये. हालांकि, उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज के सचेत लोग इसे अपनी आस्था के साथ जोड़ कर नहीं देखेंगे और पर्यावरण एवं समाज के भविष्य के बारे में जरूर सोचेंगे।
जय पासी समाज

लेखक : अच्छेलाल सरोज, इलाहाबाद

भारशिव /पासी सम्राट गणपति नाग की विद्वता से इतिहासकार भी कायल हुए थें

दिनांक २२ फेबरवरी २०१७ को अमर उजाला में छपी ख़बर
आज अमर उजाला दैनिक अखबार में कौशाम्बी राजा गणपति नाग के विषय में छपी एक खबर पढ़ा तो छानबीन शुरू किया कुछ तथ्य सामने आये है आप सबसे साझा कर रहा हुँ—-अजय प्रकाश सरोज 

भारशिव शासक गणपति नाग के विषय में काशी प्रसाद जायसवाल की पुस्तक “अन्धकार युगीन भारत ” में विस्तृत वर्णन है । लेकिन महान शोधकर्ता ब्रह्मिलिपि के विषेशज्ञ भारशिव राजाओं के अध्ययन कर्ता श्री अमृत लाल नागर की पुस्तक “एकदा नैमिषारण्य” के पृष्ठ संख्या 314 पर अंकित तथ्य भारशिव सम्राट गणपतिनाग के प्रंशसा में लिखा है।

 जो इस प्रकार है —

” तक्षक वंशीय महाराज गणपति नाग के सम्बन्ध में पहले भी किसी से प्रसंशा भरी बातें सुन चुका हूँ उन्होंने ब्रह्मिलिपि का परिष्कार करके उन्हें शिरो  रेखा युक्त करके सुन्दर रूप दे रखा है ।हाँ नागों में उनसे श्रेष्ठ और सुलझा हुआ विद्धवान और निष्ठावान पुरुष मैंने नहीं देंखा । उनकी चलती तो भारशिवों का साम्राज्य प्रबल रूप से सुंगठित हो जाता ।'”

इतिहासकार रामदयाल वर्मा ने अपने पुस्तक ‘भारशिव-राजवंशानाम्’ में यह स्पष्टऔर सर्वविदित कर चुके है कि आज की पासी जाती की उत्पत्ति भारशिव वंश से हुई है। इसकी वीरता और पराक्रम का लोहा कई विदेशी आक्रमणकर्ता तथा उनके साथ आये लेखकों ने किया है। राजा गणपति नाग भारशिव राजवंश के अंतिम शाशक माने जाते है। 

ईस्वी 345 में समुद्रगुप्त ने गुप्त वंशीय सम्राट बनकर अपना विजय अभियान चलाया तो उत्तर – भारत में भारशिव सम्राटों ने उसका मुहतोड़ जबाब दिया लेकिन अन्त में कई भारशिव राजाओ को उसने पराजित किया । इनमे से नौ भारशिव राजाओ का वर्णन इलाहाबाद के स्तम्भ में ब्रह्मिलिपि में लिखा है। जो अकबर किले में आज भी देखा जा सकता है। उन पराजित राजाओ में गणपतिनाग का नाम भी शामिल है। अपने विजय अभियान के दौरान  समुद्रगुप्त ने राजनीतिक और कूटनीतिक चाल से भारशिव राजाओ को पराजित किया । समुद्रगुप्त ने खुद को मजबूत बनाये रखने के लिए अपना सामाजिक सम्बन्ध भी गणपति नाग से स्थापित किया था। 

‘प्राचीन भारतीय संस्कृति ‘ नामक पुस्तक में लेखक बीएल लुनिया के अनुसार – “चौथी सदी में समुद्रगुप्त ने पद्मावती के गणपति नाग और नागसेन नामक नाग राजाओ को पराजित करके उनसे मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर लिया। इस मैत्रीक सम्बन्ध को वैवाहिक संबंध से मजबूत किया गया। चंद्रगुप्त द्वितीय जो समुद्रगुप्त का छोटा पुत्र था ,का विवाह नागवंशीय कन्या कुबेर नाग से हुआ। जो महादेवी नाम से विख्यात थीं।इन दोनों से प्रभावती गुप्त नामक राजकन्या पुत्री हुई।”

बाद में समुद्रगुप्त से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित होने से भारशिवों के वंशज, गुप्तवंश के राजाओं के शासन काल में आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने लगे । इन्हें” दंड पाशाधिकारी” कहा जाता था। राज्य में सुरक्षा और शान्ति ब्यवस्था की जिम्मेदारी इन्ही भारशिवों के वंशजो को सौंपा जाता था। इनके पास दंड देने के लिए लाठी और रस्सी हुआ करती थीं। धीरे धीरे यह’ दंड पाशिक”  वर्ग बन गया ।

 550 ईस्वी में गुप्त नरेशो की समाप्ति के बाद  सांतवी शताब्दी में हर्षवर्धन के समय जाति का प्रारंभ हो जाता है । जो जिस काम को करता था उसकी वंही जातीय पहचान बनती चली गई। और यही “दण्ड पाशिक” बनते बिगड़ते पासी हो गए ।  

अब पासियों को अपने गौरवशाली इतिहास की जानकारी करनी चाहिए। अपनी जाति का सौंदर्य बोध करके आज के परिवेश में नया रास्त्ता निर्माण कर पुनः अपने गौरव को बहाल कराने की जिम्मेदारी लेनी  चाहिए।

( लेखक शोध छात्र है और श्रीपासी सत्ता पत्रिका का संपादन भी करते है)

इंफ़ोसेस के सी॰ई॰ओ॰ विशाल सिक्का का जातीय घमण्ड


अक्सर हम शहरी लोगों को भ्रम होता रहता है की इस देश में जाती पति की समस्या ख़त्म हो चुकी है । हमें लगता है यह जाती वैग्रह गाँवों क़स्बों की समस्या है । हमें लगता है कि कोरपोरेट कम्पनीज़ में जाती वैग्रह कोई समस्या नहि होती ।इसी वजह से बहुत से लोग आरक्षण पर भी सवाल उठाते है की इतने साल बाद क्या ज़रूरतहै …यह लोग यह नहि सोचते की आज़ादी के इतने सालोंबाद भी जातीय अहंकार क्यों नहि जाता ।

अब क्या हम सोच सकते है की इनफ़ोसिस जैसे कम्पनी के सीईओ विशाल सिक्का अपने क्षत्रिय होने पर गर्व करते है उन्हें लगता है की क्षत्रिय होने की वजह से वह यौद्धा है और किसी भी समस्या से लड़ सकते है ….
जब दुनिया की इतनी बड़ी कम्पनी के CEO के अंदर इतनी जातीय अनहकार भरा है तो देश के बाक़ी लोगों में जाती के नाम पर कितना घमंड होगा ।
ऐसे जाति वादी लोग जब इंटर्व्यू के सिलेक्शन लेंगे तो क्या जाती का ख़याल नहि रखेंगे । 

२०१४ में फ़ेमस टीवी रिपोर्टर राजदीप सरदेसाई ने भी ख़ुद के सारस्वत ब्राह्मण होने पर गर्व बताया था ।

आप सोचिए सरकारी लोगों को छोड़िए प्राइवट और इंटर्नैशनल लेवल पर काम करने वाले लोगों के मन में जब इतना जातीय घमंड भरा है तो आम लोगों के मन में कितना घमंड होगा जाती का ।
राजेश पासी ,मुंबई

https://www.google.co.in/amp/www.hindustantimes.com/editorials/infosys-sikka-s-kshtriya-warrior-comment-doesn-t-behove-a-ceo-of-a-modern-tech-firm/story-AJ9NcezAGhaNUVDQuiAv3H_amp.html

जनता की अदालत में एक अम्बेडकरवादी छात्र अमर सिंह पासवान को जनता पैसा देकर लड़ा रही है चुनाव

उत्तर प्रदेश की जनता न जाने कितने अपराधियो और माफियाओ को जीतकर विधानसभा में पहुँचाया है। शायद गिनती करना वाज़िब नहीं। लेकिन यंही जनता है अगर मन माफिक प्रत्यासी पा जाएं तो उसे पैसा भी देकर चुनाव लडाती है।
ऐसा ही एक ताज़ा उदाहरण गोरखपुर की चौरी चौरा विधानसभा के मतदाता की है । जंहा से अमरसिंह पासवान चुनावीं मैदान में है। नव युवक पासवान को जनता पैसा देकर चुनाव में लड़ा रही है। 

अमर सिंह ने छात्र राजनीति से अपना सफर शुरू किया है। अम्बेडकरवादी छात्र संघठन के बैनर तले इन्होंने छात्रहितो के लिए कई बड़े आंदोलन चलाये है। 

साथ ही साथ दलितों ,पिछडो ,अल्पसंख्यको के उपर हुए हमलों को लेकर सड़को पर लगातार विरोध प्रदर्शन करते रहे है । अपने संघर्षो की बदौलत गोरखपुर जिले में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। 

अपनी इसी पहचान को वे अब बहुजन मुक्ति पार्टी के टिकट पर विधान सभा तक पहुचना चाहते है । यह नवयुवक जनता की अदालत में न्याय की उम्मीद लिए खड़े है। ऐसे संघर्षशील नौजवान के लिए शुभ कामना है क़ि इस राजनैतिक पराभाव में भी जनता को विकल्प देने को मजबूती से खड़ा है। 

—अजय प्रकाश सरोज

कांग्रेस ने मोदी को बिरासत में क्या दिया ?

मोदी जी !आप उस देश के प्रधान मंत्री हो जो देश तीन सौ साल ग़ुलाम रहा !

जिस देश को अंग्रेजो ने लूट खसोट कर ओर जातीवाद में बाट के बर्बाद कर इस देश की बाग़डोर कोंग्रेस को सोपी थी !

194 7 में देश में सुई नही बनती थी !

सारा देश राजा रजवाड़ों के झगड़ो में बटा हुआ था

देश के मात्र पचास गाँवों में बिजली थी !

पूरे राजस्थान में मात्र बीस राजाओं के महल में फ़ोन था !

किसी गाँव में नल नही थे.

पूरे देश में मात्र दस बाँध थे ! सीमाओं पे मात्र कुछ सेनिक थे ! चार विमान थे बीस टेंक थे !

देश की सीमाएँ चारो तरफ़ से खुली थी !

खजाना ख़ाली था ऐसे बदहाल में हमारा हिंदुस्तान कोंग्रेस को मिला था !

इन साठ सालों में कोंग्रेस ने हिंदुस्तान में विश्व की सबसे बड़ी ताक़त वाली सेन्य शक्ति तैयार की

हज़ारों विमान -हज़ारो टेंक -लाखों फ़ैक्ट्रीया लाखों गाँवों में बिजली

हज़ारों बाँध लाखों किलोमीटर सड़कों का निर्माण परमाणु बम

हर हाथ में फ़ोन -हर घर में मोटर साई किल वाला मजबूत देश साठ में बना कर दिया हे कोंग्रेस ने !

भारत ने पिछले ६० सालों में तरक्की भी बहुत की है और भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों ने कई इतिहास रच दिए हैं जिसकी वजह से भारत आज एशिया की दूसरी सब से बड़ी ताकत है.

1-भारत दुनिया का सर्व श्रेष्ठ संविधान बना चुका था.

2-भारत एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका था.

3- भारत में भाखड़ा और रिहंद जैसे बाँध बन चुके थे.

4- देश भामा न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर का उद्घाटन कर चुका था.

5- देश में तारापुर परमाणु बिज़ली घर शुरू हो चुका था.

6- देश में कई दर्जन AIIMS, IIT, IIMS और सैकड़ों विश्वविद्यालय खुल km चुके थे.

7- नेहरु ने नवरत्न कम्पनियाँ स्थापित कर दी थी.

8- कईसालों पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को लाहौर के अंदर तक घुसकर मारा था और लाहौर पर कब्जा कर लिया था.

9- पंडित नेहरु पुर्तगाल से जीत कर गोवा को भारत में मिला चुके थे.

10- नेहरु जी ने ISRO (Indian Space Research Organization) की शुरुआत कर दी थी.

11- भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी.

12- देश में उद्योगों का जाल बिछ चुका था.

13- इंदिरा जी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर चुकी थी, पाकिस्तान १ लाख सैनिकों और कमांडरो के साथ भारत को सरेंडर कर चुका था.

14- तब भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो चूका था.

15- इंदिरा जी ने सिक्किम को देश में जोड़ लिया था.

16- देश अनाज के बारे में आत्म निर्भर हो गया था.

17- भारत हवाई जहाज और हेलीकाप्टर बनाने लगा था.

18- राजीव गाँधी ने देश के घर घर में टीवी पहुंचा दिया था.

19- देश में सुपर कम्प्यूटर, टेलीविजन और सुचना क्रांति ( Information Technology) पूरे भारत में स्थापित हो चुका था.

20- जब मोदी प्रधान मंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब तक भारत सर्वाधिक विदेशी मुद्रा के कोष वाले प्रथम १० राष्ट्रों में शामिल हो चुका था

21- इनके अलावा.चन्द्र यान,

22- मंगल मिशन ,

23- GSLV,

24- मेट्रो,

25- मोनो रेल,

26- अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे,

27- न्यूक्लियर पनडुब्बी,

28- ढ़ेरों मिसाइल,पृथ्वी, अग्नि, नाग

29- दर्जनों परमाणु सयंत्र,

30- चेतक हेलीकाप्टर, मिग

31- तेजस, ड्रोन, अर्जुन टैंक, धनुष तोप,

32- मिसाइल युक्त विमान,

33- आई एन एस विक्रांत

विमान वाहक पोत. 34- 1950 तक केवल 25% साक्षरता थी 2014 मॆं 74% साक्षरता हो गई 

35-आजादी के समय देश की 75% फीसदी हिस्सा भुखमरी का शिकार था आज हम इसपर विजय पा चुके हैं .

ये सब उपलब्धियां देश ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले हासिल कर ली थी.

इस पर अपने विचार शालीन शब्दों में नीचे कमेंट बॉक्स में लिखे और शेयर करे ताकि जुमले और अंधभक्तो की झुठी भक्ती सबको पता चल जाये……हरिओम सिंह

राजवंती देवी नर्सिंग होम- एक प्रयास राष्ट्रीय पासी समाज मुंबई द्वारा

पासी समाज !!!
पासी समाज में बहुत से लोगों ने बहुत पहले से अथक मेहनत और प्रयास जारी रखा उसी का परिणाम है कि आज हम काफ़ी बदलाव देख रहे है पासी समाज में ।
काफ़ी कुछ हो रहा है समाज में काफ़ी लोग समाज के नाम पर आगे आ रहे है ।

डॉक्टर की ज़रूरत सभी इंसानों को पड़ती है और अक्सर आज हम देखते है की सही सलाह न मिल पाने के कारण समाज के लोगों को भारी जान – माल का नुक़सान उठाना पड़ता है । इस दिशा में पहल की ज़रूरत काफ़ी दीनो से पड़ रही थी । अब जबकि हमारे समाज में भी डॉक्टर की संख्या बढ़ रही है तो आशा और भी बढ़ गई थी ।

……आपको बताते हुए बेहद गर्व का अनुभव हो रहा है साथियों की इस की शुरुआत हो चुकी है मुंबई से * राजवंती देवी नर्सिंग होम * से जहाँ पासी समाज के लोगों को मुफ़्त और लाभदायक कन्सल्टिंग सर्विस दी जाएगी । अब पासी समाज का भी अपना नर्सिंग होम है जो पासी समाज के लोगों को मुफ़्त कन्सल्टिंग सर्विस देगा ।
यह शुरुआत की है राष्ट्रीय पासी समाज , मुंबई के अध्यक्ष *डॉक्टर रमाशंकर भारती* साहेब द्वारा ( मुझे नहि लगता इनके बारे में पासी समाज के लोगों को परिचय देने की ज़रूरत है ) इस कार्य में विशेष सहयोग दिया है श्री सी पी सरोज साहेब द्वारा ( विडियोकॉन के उपाध्यक्ष , बाक़ी तो और उनका नाम ख़ुद ही अपने आप में एक परिचय है ) और साथ ही सहयोगी है मिस्टर अशोक कुमार जी , आईआरएस, कमिश्नर इंकम टैक्स , दिल्ली ।
भारती साहब ख़ुद भी डॉक्टर है , साहब के सुपुत्र डॉक्टर अमित जी भी डॉक्टर है । और आप जिस पेशे में है उस पेशे का समाज के उपयोग के लिए इससे अच्छा उपयोग और क्या हो सकता है ।

कहने की ज़रूरत नहि है की आज ऐसे डॉक्टरो की कमी नहि है जो आपको डरा कर हज़ारों के टेस्ट और अस्पताल में भर्ती कर लाखों तक बिल बना देते है जहाँ सिर्फ़ ख़र्च २-४ सौ का होता है । मलेरिया , डेंगू , टाईफ़ईड में साधारण इलाज की ज़रूरत होती है पर डॉक्टर भारती सर ने काफ़ी कुछ ऐसा देखा है जिसकी वजह से लोगों की ख़ून पसीने की कमाई बिना मतलब पानी की तरह बह जाती है सिर्फ़ एक डर की वजह से। डॉक्टर भारती साहेब ने बताया कि उनके क्लीनिक में बहुत से पेशंट जिनके प्लेटलेट १० हज़ार तक गिर चुके थे उन का इलाज सिर्फ़ २-४ हज़ार रुपयों तक सीमित कर दिया जबकि आपने अपने आसपास आपने ऐसे कई उदाहरण देखे होंगे जहाँ ५०-६० हज़ार के प्लेटलेट वालों को भी सीरीयस बता कर कई हज़ार तक बिल बनाते है । सिर्फ़ डर की वजह से । डॉक्टर साहब कहते है की वह , उनके पुत्र अमित जी और उनके अनुभवी सहयोगी डॉक्टर अपने समाज के लोगों को मुफ़्त सलाह और ज़रूरी सेवाये देंगे। अगर लोगों को समय पर सही सहयोग मिल जाएगा तो हमारे लोगों के लिए एक बड़ी हेल्प होगी लोग डर की वजह से पैसे बर्बाद करने से बच जाएँगे ।

यह शुरुआत भले ही मुंबई ( भायंदर ) में हुई है पर डॉक्टर भारती साहेब सपना देखते है की ऐसी शुरुआत देश के दूसरे शहरों में भी हो । भारती सर के संपर्क काफ़ी अच्छे है दूसरे शहरों के डॉक्टर और सामाजिक लोगों से जैसे दिल्ली और लखनऊ में यह शुरुआत हो सकती है जो की बहुत ज़रूरी है । अगर इन शहरों से जुड़े लोग और संस्थाएँ चाहे तो भारती सर इन ज़ग़हो पर शुरुआत करने के लिए सहयोग कर सकते है ।

इस नर्सिंग होम के अलावा डॉक्टर भारती साहेब द्वारा PRB नर्सिंग इन्स्टिटूट जो केंद्र से मान्यता प्राप्त है पिछले कई सालों से मुंबई में चल रहा है । इस इन्स्टिटूट में उन बच्चियों को जिनकी पढ़ाई आर्थिक स्थिति की वजह से पूरी नहि हो पाती और किसी सामाजिक कारणो के कारण उच्च शिक्षा नहि मिल पाती । ऐसे बच्चियों को यह इन्स्टिटूट नर्सिंग ट्रेनिंग देकर स्वावलंबि बनता है उन्हें दुनिया में ख़ुद के पैर पर खड़े होने के लायक बनता है , उन्मे वह आत्मविश्वास दिलाता है की वह भी बहुत कुछ कर सकती है । हमारे पासी समाज के लोग इस नर्सिंग होम की सेवाए लें सकते है जिसने सभी समाज के बहुत से बच्चों को अपने पैर पर खड़ा किया है जाहीर है पासी समाज के लोगों को ख़ास सुविधाएँ मिलेंगी इस इन्स्टिटूट से ।
तो साथियों इस मैसेज को इतना डिस्ट्रिब्यूट कीजिए की ज़रूरत मंद लोगों तक यह मैसेज पहुँचे और ऐसी सुविधाओं का लाभ ले सके ।
सम्पर्क – डॉक्टर रमाशंकर भारती , भायंदर , मुंबई 


मोबाइल – 093244 93939
धन्यवाद –
राजेश पासी ,मुंबई

श्री पासीसत्ता – प्रभारी मुंबई

उच्च शिक्षण संस्थानो में बहूजनो का घटता जनाधार !


डॉक्टर रमेश रावत 

एजुकेशन रिफार्म्स को लेकर एक विचार कई वर्ष पहले कांग्रेस सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने आई आई टी में अवसरों की संख्या सीमित कर दी थी तभी से आई आई टी में केवल दो अवसर हैं पहला १२वीं करते हुये दूसरा बारहवीं के बाद ,जब यह नियम लागू हुआ था तभी से ग्रामीण ,लोअर मिडिल क्लास के छात्रों का आई आई टी में सेलेक्शन नहीं हो रहा है।यूपी बोर्ड के छात्र लगभग आई आई टी से बाहर हो चुके हैं।पहले ऐसा नहीं था,पहले ग्रामीण इलाके के छात्र इंटर पास करने के बाद दो से तीन साल तैयारी करके आई आई टी में सेलेक्शन ले लेते थे।आगे जाकर वे उच्च पदों पर पहुंचते थे,अब वो सब खतम है।

इसका फायदा कोचिंग वालों ने उठाया उन्होने ९वीं क्लास से ही आई आई टी की तैयारी करवाना शुरू कर दिया।इसका फायदा प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेजों के प्रबंधकों को भी मिला ।

उस समय कपिल सिब्बल पर यह आरोप भी लगा था कि उन्होने कुछ लोगों से मोटी रकम लेकर यह फैसला किया है।

अब मोदी सरकार ने एम बी बी एस /बी डी एस की पात्रता एक्जाम में तीन अवसरों का प्रतिबंध लगा दिया है।

यह एक तरह से ग्रामीण इलाके के छात्रों को डाक्टर बनने से रोकने का प्रयास है क्योंकि बेस कमजोर होने के कारण ग्रामीण इलाके के छात्र चौथे पांचवे प्रयास में ही सफल हो पाते थे।

यह सब सोची समझी साजिश का नतीजा है।इसका फायदा कोचिंग वाले व प्राइवेट मेडिकल कालेज वाले उठायेंगे।शायद यह फैसला इन्ही लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये किया गया है।

ढाई साल हो गये मोदी सरकार को , एजूकेशन में कोई कारगर सुधार नहीं बस बातें हैं।

क्लास १ से ८ तक सभी स्कूलों में एकसमान सिलेबस नहीं है,सब अपने हिसाब से अभिभावकों को परेशान करते हैं।

– डॉक्टर रमेश रावत लखनऊ 

पासी समाज ट्रस्ट परसिया

लक्ष्मी प्रसाद रावत उद्घाटन करते हुए
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की परासिया तहसील में पासी समाज ट्रस्ट ने 18वें वार्षिक सम्मेंलन के अवसर पर दो युवतियों की शादी बड़ी धूम धाम से कराया गया। जिसमे एक युवती इलाहाबाद की सोरांव तहसील की थी। इस दौरान 60 बच्चो को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर परिणाम देने के लिए सम्मानित भी किया गया।

ट्रस्ट के प्रबंधक पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया ने कहा कि हम कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष करते है। लेकिन समाज की युवतियों की शादी की समस्याओं को देखते हुए हमने यह निर्णय लिया कि हम दहेज़ रहित शादी भी करवाएंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पासी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद रावत जी वर वधू को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हमारा समाज दिन ब् दिन तरक्की की राह पर है। ट्रस्ट द्वरा समाज को बेहतर दिशा दिया जा रहा है। मैं सभी अयोजक सदस्यों की भूरी भूरी प्रन्सशा करता हूँ। उन्होंने ट्रस्ट द्वारा निर्माण करवाये जा रहे सामूहिक भवन आर्थिक सहयोग के लिए लोगो से अपील की। 
विशिष्ट अतिथि श्रीपासी सत्ता पत्रिका के सम्पादक अजय प्रकाश सरोज ने कहा कि यह कार्यक्रम कई विविधताओ को धारण किये हुए इस तरह के आयोजन से समाज में मजबूती प्रादान करते है। शिक्षा के लिए 60 बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित करना बड़ा काम है । इससे 60 बच्चे नहीं बल्कि समाज के 60 परिवार सम्मानित हुए है। मैं इस कार्यक्रम में भाग लेकर खुद को गौरान्वित महसूस कर रहा हूँ।

पासी महासभा इलाहाबाद के अध्यक्ष नीरज पासी ने इस विधिवत आयोजन के लिए पूर्व विद्यायक ताराचंद बावरिया की लगानता और शालीनता की तारीफ़ की । जबलपुर के महेंद्र पासी ने वर वधू को आशीर्वाद देकर उनके सफल जीवन की कामना किये।

सम्मेलन में पासी समाज की अद्भुद प्रर्दशनी का उदघाट्न किया गया । जिसमे पूर्व में तथा वर्तमान में प्रकाशित पत्र पत्रिकाएं और पुस्तके सामिल किये गए। 

कार्यक्रम का संचालन फ़िल्मकार केशव कैथवास ने किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता शेर -ए -रतलाम भंवर लाल कैथवास जी ने किया। 

इस अवसर रंजन कैथवास, विधुति ज्योति कैथवास साहित बड़ी समाज के गणमान्य लोग उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाये ।